
हिंदी प्रेम कविता – Best Hindi Prem Kavita | Hindi Love Poem
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हिंदी प्रेम कविता – Best Hindi Prem Kavita
1. Hindi Love Poem
तुम हो …
बाँहों में तेरे मैं अब तो समाने लगा हूँ …
रूह में तेरे मैं बसने लगा हूँ….
पागल सा ठहरा हुआ बादल हूँ मैं तो…
रिमझिम फुहारों सा बसने लगा हूँ..
हर पल अब तेरे सपने सजाने लगा हूँ…
बेचैन भँवरे सा मचलने लगा हूँ….
मेरे मद्धम से सुरों की सरगम तुम हो…
अधरों की मीठी सी शबनम तुम हो…
तुम हो मेरे रात की तन्हाई….
मेरे नींदों की गहराई में भी बस तुम हो…..
तुम हो मेरे गीतों की महफ़िल में…
मेरे हर एक पल में अब बस तुम हो….
भूलें तो कैसे भूलें तुम्हें ए हसीं ये बता….
मेरे खुदा की इबादत में भी बस तुम हो..
बस तुम हो….बस तुम हो…बस तुम हो….।।।
©स्वरचित बा.कु.
2. Hindi Love Poetry
झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं
झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मेरी तरह तेरा दिल बेक़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
झुकी झुकी सी नज़र
वो पल के जिस में मोहब्बत जवान होती है
वो पल के जिस में मोहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं…
~ कैफ़ी आज़मी
3. हिंदी प्रेम कविता
अल्लाह
*
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
उसका नाम आया है
*
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि लोग कहते हैं
मेरी तकदीर के घर से
मेरा पैगाम आया है
*
अल्लाह! यह कौन आया है
यह नसीब धरती के
कि उसके हुस्न को
खुदा का इक सलाम आया है
*
अल्लाह! यह कौन आया है
यह दिन मुबारक है
कि मेरी जात पर
अब इश्क का इल्जाम आया है
*
अल्लाह ! यह कौन आया है
नजर भी हैरान है
कि आज मेरी मेरी राह में
यह कैसा मुकाम आया है
*
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
अब उसका नाम आया है
(अमृता प्रीतम)
4. Hindi Prem Kavita
अधूरा सपना
——————
एक ख़्वाब सा देखा करती हूँ
कि साथ साथ एक रात तुम्हारे
बड़ी दूर तक चलती रहती हूँ
बड़ी तंग तंग सी गलियाँ हैं
लंबे पत्तों के पेड़ भी हैं
ना चाँद है ना कोई तारा है
मैं शून्य सा देखा करती हूँ
कोई बात नही कोई स्पर्श नहीं
बस आगे तुम और पीछे मैं
तुम्हारे जूते गीले हैं
उस छाप पे पाँव रखती हूँ
हवा बड़ी ठंडी सी है
कुछ अंधेरा कुछ धुँधला है
फिर भी गर्मी और सहारा
तुम्हारी परछाई का लेती हूँ
आगे बढ़कर पूछ्ती हूँ
ध्यान है क्या मैं पीछे हूँ?
तुम हल्के से मुस्कुराते हो
मैं जोर से हँस हँस देती हूँ
छलके हुए अश्क।।
छलके हुए अश्कों से सवाल पूछ लो
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी का हाल पूछ लो।
एक वफा यकीन के, काबिल नहीं लगे
सौ दुआ में सब्र का, मलाल पूछ लो।।
अश्रुओं के झूंड में, जब गुमशुदी मिले
आरजू एहसास में, जब गुदगुदी मिले
ख़्वाबों से अपने मेरा, ख्याल पूछ लो
अपने दिल की धड़कनों की, चाल पूछ लो।।
मुद्धतों से मिल रही है, ज़िन्दगी हमें
सिद्धतों से ही मिल रही है, सादगी हमें
हर घड़ी क्यों हो रहा, हलाल पूछ लो
होठ हो खामोश तो, कपाल (माथे की सिकन) पूछ लो।।
इंतजार इंतहानों में, सिमटते है
दर्द, दुख व ठेस से,अक्सर लिपटते है
बेवफ़ाई कैसी हो, मजाल पूछ लो
धोखो की मुझसे ही, गहरी चाल पूछ लो।।
मुराद में तेरी हुईं है, हसरतें रवां
रच रहा तेरी मंजिले, मै तुझको ही गवां
क्यों अजीब हूं मै, एक ख्याल पूछ लो
मेरे इस जुनून का, बवाल पूछ लो
मै तुझे भुला दूं, मुझसे यें नहीं होता।
तू नहीं है फिर भी, तेरे मै ख्वाब पिरोता।
मेरी मन्नते में तू, भोकाल (समाज से) पूछ लों
खुद की सखियों से ही, सालों साल पूछ लो।
छलके हुए अश्कों से सवाल……………………
आखिर कुछ तो पूछ लो। 🙁
कुछ बातें हैं ,जो बतानी है |
कुछ सपनें हैं ,जो सुनानी है |
कुछ रंजीशें हैं ,जो करनी है |
कुछ खुशियाँ हैं ,जो बाटनी है |
कुछ अंतर्द्वंद हैं ,जो कहनी है |
कुछ लम्हें हैं ,जो देखनी है |
एक बार और तुम्हीं से इश्क़ करना है |
एक बार और तुम्हीं से बातें करनी है |
एक बार और तुम्हीं से रूठना है |
एक बार और तुम्हीं को समझाना है |
ऐसी बातें, ऐसी यादें हैं |
ऐसी रातें और सुबह भी है |
हमारी अधूरी है कहानी,
हमारी बातें है अधूरी,
हमारी अधूरी है मुलाकातें,
हमारी रातें है अधूरी |
इश्क़ के इस सफर में हम इतनी आगे बढ़ आए |
न वक़्त का पता चला ,न लोगों का |
न खता का खयाल आया ,न मुस्कराहट की |
वफ़ा न हम हुए और न तूने किया |
इश्क़ हमे हुयी और ऐसी हो गई….
मानो सबसे खूबसूरत तुम हो और कोई नहीं |
जैसे ऐसी की सबसे समझदार तुम हो और कोई नहीं |
उन लहरों की तरह टूट जा उस तट पर,
जिसकी गहराई को मैं उंगलियों से महसूस कर पाऊं |
बारिश की तरह उन बादलों से आ जा जमीन पे,
मेहसूस कर लूँ तुम्हें इस पल और आज मैं |
इस बहती बयार की तरह रुख न मोर,
थोड़ी देर तो ठहर जा ,बस इतनी सी दुआ है |
बहती हुई नदी को मैं हथेली में लाना चाहता हूँ,
यह इश्क़ का दरिया है जनाब ,तुम्हें पाना चाहता हूँ |
सारी आसमान को तेरे सामने लाना चाहता हूँ |
और एक ख्वाइश उस चाँद से रखना चाहता हूँ,
की ऐ खुदा.. तेरी ही नही मेरी भी उमर लग जाए तुझे |
ऐ रांझना.. ये दिल है ,ले जा जो ले जाना हो तुझे |
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